भाजपा की परिवर्तन यात्राओं को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ा

 नई दिल्ली 
 राज्य प्रशासन ने अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है। पश्चिम बंगाल में आज यानी शनिवार से शुरू हो रही भाजपा की परिवर्तन यात्राओं को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ा हुआ है।अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने व जनता तक पहुंचने के लिए भाजपा का यात्राओं का पुराना फॉर्मूला है, जो उसे लाभ देता है, लेकिन ऐसी यात्राओं को लेकर विवाद भी खड़े होते रहे हैं और राजनीतिक टकराव भी हुए हैं। पश्चिम बंगाल में भी वही स्थिति बनी हुई है। भाजपा ने सबसे पहले 1990 में रामरथ यात्रा से राजनीतिक उड़ान शुरू की थी। तब के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की उस पहली रथ यात्रा में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अहम भूमिका में थे। इसके बाद आडवाणी व अन्य नेताओं ने विभिन्न नामों से आधा दर्जन से ज्यादा यात्राएं निकालीं और भाजपा के जनाधार व पहुंच को देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाया।

 हालांकि यह यात्राएं राजनीतिक विवाद व टकराव का भी सबब रहीं। आडवाणी की पहली सोमनाथ से अयोध्या राम रथ यात्रा को बीच में ही रोक लिया गया था और बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार ने उनको गिरफ्तार कर लिया था। इस रथ यात्रा को तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का राजनीतिक जवाब माना गया था। इसके बाद 1991-92 में तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा भी जम्मू कश्मीर में श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराने को लेकर चर्चित रही थी। रथ यात्राओं के जरिए भाजपा ने अपने मुद्दों को देश भर में पहुंचाया और उसे इसका लाभ भी मिला। चुनावी सफलताएं कम ज्यादा रही हों, लेकिन 1990 के बाद भाजपा का जनाधार बढ़ता ही रहा है और अब उसकी पहुंच देश के सभी राज्यों तक हो गई है। 
 

Source : Agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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